Sunday, September 26, 2010

दिल की स्याही से

आज मन फिर उड़ा
जा पहुंचा आसमान में
जब देखा नीचे इमारतों के जंगल में
तो रिश्ते ढूंढते कुछ शख्स दिखे
वो तलाश रहे थे कुछ अपने कुछ पराये
मैं देख उनको हंस पढ़ा
और लगा सोचने, सारी उम्र बस इंसान बेबस ही रहा
जब साथ में होते है रिश्ते
तो क़द्र नही
बिखर गए जब वो, तो अपनी पहचान ढूँढने निकला है!